Wednesday, February 23, 2011

कारवाँ

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,
कहीं ज़मीन तो कहीं आसमाँ नहीं मिलता..

मिले भी जाये गर आसमाँ और ज़मीं कभी,
राही तेरे ख्वाबों को आशियाँ नहीं मिलता..

हसरतें हैं बड़ी इस छोटी सी ज़िन्दगी में,
थक जाते हैं रास्ते, तेरी तिशनगी का कारवाँ नहीं थमता..

चाहते तो हैं जाने की मंजिलों तक,
कभी राही तो कभी रास्ता नहीं मिलता..

चाहे हर कोई यहाँ पाना अपने रब को,
पर चाहने भर से तो खुदा नहीं मिलता..

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,
कहीं ज़मीन तो कहीं आसमाँ नहीं मिलता..