Monday, January 2, 2012

मन रे तू बावला बड़ा है..

मन रे तू बावला बड़ा है..
अभी इधर है बैठा,
अभी उधर उड़ चला है..
मन रे तू बावला बड़ा है..

कभी संग बयार के बहता चले तू,
कभी तूफानों के उलट चल पड़ा है..
इक पल है कोई राही गुमनाम सा,
अगले ही पल बना काफ़िला है..
मन रे तू बावला बड़ा है..

बहे कभी बेरंग पानी के जैसा,
तो कभी इन्द्रधनुष से जा मिला है..
कभी तो है सागर से भी गहरा,
कभी बारिश का इक बुलबुला है..
मन रे तू बावला बड़ा है..