Saturday, March 13, 2010

Koshish by Sohan Lal Dwivedi

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती,
नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है.
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है.
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती.

डुबकियाँ सिन्धु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है,
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में.
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती.

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गयी, देखो और सुधार करो.
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो तुम.
कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

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